नई दिल्ली: विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने मंगलवार को बताया कि इराक़ में तीन साल पहले अपहृत किए गए सभी 39 भारतीय मारे जा चुके हैं और उनके शव मिल गए हैं.
सुषमा ने राज्यसभा में मंगलवार को अपनी ओर से दिए एक बयान में बताया कि अभी यह पता नहीं चल पाया गया है कि ये भारतीय कब मारे गए.
उन्होंने बताया कि पंजाब, हिमाचल प्रदेश, बिहार तथा पश्चिम बंगाल के रहने वाले इन भारतीयों के शव इराक़ में मोसुल शहर के उत्तर पश्चिम में स्थित बदूश गांव से मिले हैं.
विदेश मंत्री ने बताया कि बदूश में एक सामूहिक कब्र से खोद कर निकाले गए इन शवों की डीएनए जांच की गई जिसके बाद इन भारतीयों की पहचान हो सकी.
उन्होंने बताया कि एक विशेष विमान के ज़रिये इन शवों को भारत लाया जाएगा और इनके परिजनों को सौंप दिया जाएगा.
उच्च सदन की बैठक शुरू होने के बाद अपनी ओर से दिए गए एक बयान में सुषमा ने बताया, ‘मैंने पिछली बार इन भारतीयों के बारे में सदन में चर्चा होने पर कहा था कि जब तक ठोस सबूत नहीं मिलेगा, मैं किसी को भी मृत घोषित नहीं करूंगी. आज मैं उसी प्रतिबद्धता को पूरी कर रही हूं. मैंने कहा था कि सबूत मिलने पर ही हम इसे बंद करेंगे. जब हम इन 39 भारतीयों के पार्थिव अवशेषों को उनके परिजनों के सुपुर्द करेंगे तब यह खोज बंद होगी.’
क़रीब तीन साल पहले 40 भारतीय कामगारों के एक समूह को मोसुल में आतंकी संगठन आईएसआईएस ने बंधक बना लिया था. बंधक बनाए गए लोगों में कुछ बांग्लादेशी भी थे. भारतीयों में से, हरजीत मसीह नामक एक व्यक्ति किसी तरह बच कर निकल गया.
हरजीत ने दावा किया था कि उन्होंने अन्य भारतीयों को आईएसआईएस के लड़ाकों के हाथों मरते देखा है. लेकिन सरकार ने उसका यह दावा खारिज कर दिया था.
सुषमा ने कहा कि पंजाब के गुरदासपुर का रहने वाला हरजीत मसीह सच नहीं बोल रहा था. उन्होंने बताया कि हरजीत ख़ुद को बांग्लादेश का मुस्लिम बता कर आईएसआईएस से बच कर निकल गया था.
विदेश मंत्री ने बताया कि इन भारतीयों को तब अपहृत किया गया था जब मोसुल पर आईएसआईएस ने क़ब्ज़ा किया था.
उन्होंने बताया कि अपहृत भारतीयों को पहले मोसुल में एक कपड़ा फैक्ट्री में रखा गया. हरजीत के भागने के बाद इन भारतीयों को बदूश गांव में ले जाकर बंधक रखा गया.
उन्होंने बताया कि इन 39 भारतीयों को बदूश गांव ले जाए जाने के बारे में विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह को उसी कपड़ा फैक्ट्री से पता चला जहां पहले भारतीयों को रखा गया था.
बदूश में कुछ स्थानीय लोगों ने एक सामूहिक कब्र के बारे में बताया. ‘डीप पेनिट्रेशन रडार’ की मदद से पता लगाया गया कि क़ब्र में शव हैं. इराक़ी अधिकारियों की मदद से शवों को खोद कर निकाला गया. जो सबूत मिले, उनमें लंबे बाल, कड़ा, पहचान पत्र और वह जूते शामिल हैं जो इराक़ में नहीं बने थे.
विदेश मंत्री ने बताया कि इन शवों को डीएनए जांच के लिए बगदाद भेजा गया. उन्होंने कहा कि बगदाद में मार्टायर्स फाउंडेशन से इन शवों की डीएनए जांच करने का अनुरोध किया गया.
उन्होंने कहा कि सरकार को बीते सोमवार को बताया गया कि जांच में 38 भारतीयों का डीएनए मैच हो गया जबकि 39वें शव का डीएनए उसके क़रीबी रिश्तेदारों के डीएनए से 70 फीसदी मैच हो गया है.
उन्होंने बताया कि विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह इन शवों को वापस भारत लाने के लिए इराक जाएंगे.
सुषमा ने बताया कि वह पहले भी कहती रही हैं कि सबूत न मिलने तक वह अपहृत भारतीयों को मृत घोषित नहीं करेंगी. उन्होंने कहा, ‘अब सबूत मिल गए हैं. बहुत दुख के साथ मैं सदन को यह सूचना दे रही हूं कि इराक़ में अपहृत 39 भारतीय मारे गए.’
उन्होंने बताया कि जब मोसुल पर आईएसआईएस ने क़ब्ज़ा किया था तब ज़्यादातर इराक़ी शहर से चले गए लेकिन भारतीय और बांग्लादेशी कामगार वहीं रहे.
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने बताया कि एक कैटरर से पता चला कि आईएसआईएस ने इन भारतीयों को दोपहर का खाना खाकर लौटते समय पकड़ा और पहले इन लोगों को कपड़ा फैक्ट्री में रखा गया. वहां से बांग्लादेशी कामगारों को अलग कर उन्हें अरबिल शहर भेज दिया गया.
विदेश मंत्री के अनुसार, कैटरर ने बताया कि उसे एक व्यक्ति ने ख़ुद को अली बताते हुए फोन कर कहा कि वह बांग्लादेशी है और उसे आईएसआईएस के आदेशानुसार, बांग्लादेश भेजा जाना चाहिए.
सुषमा ने बताया कि हरजीत मसीह ने उन्हें अरबिल से फोन किया था लेकिन उसने यह नहीं बताया कि वह वहां कैसे पहुंचा. ‘वह कैटरर द्वारा लाई गई वैन में ख़ुद को बांग्लादेश का मुस्लिम नागरिक अली बता कर बच निकला.’
सुषमा ने आगे बताया, ‘अगले दिन गिनती होने पर एक भारतीय कम मिला तो आईएसआईएस ने सभी अपहृत भारतीयों को बदूश भेज दिया.’
उन्होंने बताया कि मोसुल से आईएसआईएस के सफ़ाये के बाद विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह लापता भारतीयों की खोज में वहां गए. कपड़ा फैक्ट्री और कैटरर से सुराग मिलने के बाद सिंह इराक़ में भारतीय राजदूत तथा एक इराकी अधिकारी के साथ बदूश की जेल में गए.
लापता भारतीयों की खोज के अथक प्रयासों के लिए विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह की सराहना करते हुए सुषमा ने कहा कि बदूश में तीनों को खोज के दौरान एक छोटे से मकान में ज़मीन पर सोना पड़ा था.
उन्होंने बताया कि स्थानीय लोगों से सामूहिक क़ब्र का पता चला जहां से शव खोद कर निकाले गए और मार्टायर्स फाउंडेशन से इनकी प्राथमिकता के आधार पर डीएनए जांच करने का अनुरोध किया गया.
सुषमा ने बताया, ‘लापता भारतीय पंजाब, हिमाचल प्रदेश, बिहार और हिमाचल प्रदेश के थे. इन राज्यों की सरकारों के सहयोग से, लापता भारतीयों के परिजनों के डीएनए के नमूने बगदाद भेजे गए. पहले शव का डीएनए मैच कर गया. यह शव संदीप नामक व्यक्ति का था. बीते सोमवार को पुष्टि हो गई कि 38 शवों का डीएनए मिल गया. 39वें शव का डीएनए 70 फीसदी मैच हुआ है. इस व्यक्ति के माता पिता नहीं हैं और उसके रिश्तेदारों के डीएनए का नमूना जांच के लिए भेजा गया था.
सुषमा ने कहा, ‘सबूत जुटाना बहुत ही मुश्किल था. एक निर्मम आतंकी संगठन आईएसआईएस और सामूहिक क़ब्रें… शवों का ढेर था. इनमें से अपने लोगों के शवों का पता लगाना, उन्हें जांच के लिए बगदाद भेजना आसान नहीं था.’
विदेश मंत्री ने शवों का पता लगाने के लिए डीप पेनिट्रेशन रडार मुहैया कराने, शवों को खोद कर निकालने और डीएनए जांच के लिए उन्हें बगदाद भेजने में सहयोग के लिए इराक़ी प्राधिकारियों का भी शुक्रिया अदा किया.
उन्होंने बताया कि विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह विशेष विमान से पार्थिव अवशेषों को भारत लाने के लिए इराक़ जाएंगे. इन शवों को पहले पंजाब लाया जाएगा. मारे गए भारतीयों में से 31 पंजाब के और चार हिमाचल प्रदेश के थे. पंजाब, हिमाचल प्रदेश के बाद विमान पटना और फिर कोलकाता जाएगा.
विदेश मंत्री के बयान के बाद सभापति एम. वेंकैया नायडू ने कहा कि यह अत्यंत दुखद ख़बर है. सदन में मौजूद सदस्यों ने कुछ पल मौन रह कर मृतकों को श्रद्धांजलि दी.
विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि पिछले साल सरकार ने हमें आश्वासन दिया था कि लापता भारतीय जीवित हैं. क़रीब तीन साल पहले आईएसआईएस ने जब भारतीय कामगारों को बंधक बनाया था उस समय वह लोग मोसुल से बाहर निकलने की तैयारी में थे. मोसुल को आईएसआईएस के क़ब्ज़े से मुक्त कराने की घोषणा के बाद वीके सिंह को इराक भेजा गया था.
पिछले साल विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने लापता भारतीयों के परिजनों को बताया था कि खुफिया सूत्रों के हवाले से एक इराक़ी अधिकारी ने वीके सिंह को बताया कि भारतीयों को एक निर्माणाधीन अस्पताल में काम करने रखा गया और फिर एक फार्म में भेजा गया. इसके बाद उन्हें बदूश में एक जेल में रखा गया.
विभिन्न नेताओं ने शोक संवेदन व्यक्त की, आम आदमी पार्टी ने सुषमा से मांगा इस्तीफ़ा
नई दिल्ली/चंडीगढ़/कोलकाता: पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और कांग्रेस अध्यक्ष ने इस घटना पर शोक जताते हुए सांत्वना व्यक्त की है.
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने इराक़ में बंधक बनाए गए 39 भारतीयों की मौत पर स्तब्धता जताते हुए गहरा शोक व्यक्त किया है.
उनकी पार्टी के नेता एवं राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम आज़ाद ने कहा कि यह केवल पीड़ितों के परिजनों के लिए ही नहीं पूरे देश के लिए एक त्रासदी है.
राहुल ने ट्वीट कर कहा, ‘मैं यह सुनकर स्तब्ध हूं कि 2014 से इराक में बंधक बनाए गए गए 39 भारतीयों की मौत की पुष्टि हो गई है.’
उन्होंने कहा, ‘मैं उन परिवारों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं जो इस आशा के साथ जी रहे थे कि उनके प्रियजन सुरक्षित वापस लौटेंगे. मेरा दिल और दुआएं आप सभी के साथ हैं.’
चंड़ीगढ़ में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि वह आईएसआईएस द्वारा अगवा किए गए 39 भारतीयों की इराक़ में हत्या की हृदयविदारक ख़बर से दुखी हैं.
वहीं कांग्रेस के उनके सहयोगी प्रताप सिंह बाजवा और आम आदमी पार्टी के कंवर संधु ने भी घटना को लेकर दुख व्यक्त किया है और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज पर निशाना साधते हुए मारे गए युवकों के परिवार को गुमराह करने का आरोप लगाया.
राज्यसभा सदस्य और कांग्रेस नेता प्रताप सिंह बाजवा ने दुख व्यक्त करते हुए उनके परिवार वालों के लिए प्रार्थना की.
उन्होंने ट्वीट किया, ‘सुषमा स्वराज ने तीन साल से अधिक समय तक परिवारों को गुमराह क्यों किया? यह एमईए और जीओआई की पूर्ण विफलता है.’
आप नेता और खरार से विधायक कंवर संधु ने केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज से इस्तीफ़े की मांग की.
संधु ने एक ट्वीट में कहा, ‘इराक में 39 भारतीयों के लापता होने के बारे में सुषमा स्वराज ने जो झूठ फैलाया इसकी ज़िम्मेदारी लेते हुए उन्हें विदेश मंत्री के पद से इस्तीफ़ा दे देना चाहिए.’
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इराक में 39 भारतीयों के मारे जाने पर गहरा दुख व्यक्त किया. ममता ने एक ट्वीट कर कहा, ‘मोसुल से बेहद दुखद समाचार से बहुत ही दुखी हूं. 39 शोक संतप्त परिवार को सांत्वना देने के लिए शब्द पर्याप्त नहीं हैं.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)
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