- पवन कुमार जैन


आज 14 सितम्बर है,, आज ही के दिन 1949 में संविधान सभा ने हिंदी को संघ की राजभाषा के रूप में चुने जाने का निर्णय लिया था ,, इसीलिए इस दिन को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है ,, अधिकाँश लोगों का यह कहना है कि दुनिया के किसी भी देश में उनके यहाँ भाषा को लेकर दिवस नहीं मनाया जाता है ,,, यह सत्य है परंतु वास्तव में भारत में उत्सवों और पर्वों को उत्साहपूर्वक मनाये जाने की परम्परा रही है और हमें पता है कि प्रत्येक पर्व या उत्सव हमें कुछ न कुछ संदेश और प्रेरणा भी देते हैं ,, हिंदी दिवस भी हमें अपनी भाषा को अपनाने, उसका संवर्धन करने और विकसित करने की प्रेरणा देता है ,,  इतना तो तय है कि हम अपनी भाषा में अपने आपको बेहतर तरीके से अभिव्यक्त कर सकते हैं ,, हमें अपनी भाषा में तथ्यों को समझने और उसे आत्मसात करने में काफी सहूलियत होती है ,, भाषा के सम्बन्ध में हम काफी धनी हैं ,, जहाँ हिंदी पूरे देश में संघ की राजभाषा के रूप में स्थापित हो चुकी है वहीं हमारी क्षेत्रीय भाषाएँ भी अनेक साहित्य, संस्कृति और परम्पराओं को संजोए हुए हैं और सदैव हमारा मार्गदर्शन करती हैं ,,  फिर चाहे वह दक्षिण की तमिल, तेलगु, कन्नड़, मलयालम हो और चाहे वह उड़िया, बंगला, असमिया, पंजाबी, गुजराती, मैथिली, भोजपुरी, डोगरी, नेपाली आदि भाषाएँ हों ,,, चूँकि हमारी एक सामासिक संस्कृति है इसलिए संविधान ने भी हमें हिंदी में सभी भारतीय भाषाओं के शब्दों को अपनाने की व्यवस्था दी है ,, आज हमें पता भी नहीं चल पाता कि हम अपनी बोलचाल में भारत की किन अन्य भाषाओं के शब्दों का प्रयोग कर रहे हैं ,, वास्तव में यही हमारी सबसे बड़ी ताकत है ,, चूँकि आज हिंदी दिवस है इसलिए हमें इस अवसर पर कुछ न कुछ संकल्प अवश्य लेना चाहिए इसलिए हम यह प्रयास करें कि आने वाले पूरे वर्ष में अपने रोजमर्रा के कामों में हिंदी का अधिकांशतः प्रयोग करें और अपनी मातृभाषा के अतिरिक्त कम से कम एक अन्य भारतीय भाषा को सीखें और यह अधिमान्यता दें कि दक्षिण प्रांत के लोग उत्तर भारतीय भाषा और उत्तर भारत के लोग दक्षिण भारत की भाषा सीखें ,, भाषा के ज्ञान का यह सेतु हमें आपस में जोड़ने और एक दूसरे को समझने में महती योगदान करेगा ,, यद्यपि ऐसा माना जाता है कि भाषा अमूर्त है किंतु वह अमूर्त रहते हुए भी हमें हमको ही समझने-समझाने का अद्भुत काम करती है ,, 

जय हिंदी ,, जय भारत


वाओं के थपेड़ो से कभी रुका नहीं हूँ

मंजिल दूर है मगर अभी थका नहीं हूँ।



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