अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी उत्सव बाली और जकार्ता (इंडोनेशिया) में 10 से 15 जनवरी तक आयोजित किया गया। इस आयोजन को भारत की संस्था परिकल्पना के संयोजन में जकार्ता स्थित संस्था साधु वासवानी, आत्मा सेल्फ एक्सप्रेशन, तथा इण्डोनेशियन इंडियन फ्रैंडशिप ने संयुक्त रूप से आयोजित किया।
उल्लेखनीय है कि 10 जनवरी 2018 को अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी दिवस के अवसर पर बाली द्वीप के ग्रैण्डज्री सभागार में शुभारम्भ हुआ तथा 14 जनवरी 2018 को जकार्ता स्थित साधु वासानी सेन्टर के सभागार में मुख्य समारोह सम्पन्न हुआ। इस समारोह में भारत और इंडोनेशिया सहित अन्य देशों के हिन्दी एवं भारतीय भाषाओं के साहित्यकार, भाषाविद्, पत्रकार, टेक्नोक्रेट हिन्दी प्रचारक एवं संस्कृतिकर्मियों ने प्रतिभाग किया। इस उत्सव का मुख्य उद्देश्य था-हिन्दी और भारतीय संस्कृति का प्रचार-प्रसार एवं सांस्कृतिक अध्ययन तथा पर्यटन के अवसर उपलब्ध कराना जो अपने उद्देश्य में पूर्णरूपेण सफल रहा। इस उत्सव में भारत के 30 प्रतिभागियों के साथ परिकल्पना की अध्यक्षा माला चौबे, आत्मा सेल्फ एक्सप्रेशन (जकार्ता) की संचालिका सुश्री शिल्पी धीरज शर्मा, इण्डोनेशियन इंडियन मैत्री संघ की अध्यक्ष श्रीमती ऐश्वर्या सिन्हा और साधु वासवानी सेण्टर के प्रवक्ता श्री राकेश केतन मिश्र ने प्रतिभाग किया।
पुस्तकों का लोकार्पण
उत्सव का मुख्य समारोह 14 जनवरी को साधु वासवानी केन्द्र (जकार्ता) के भव्य सभागार में सम्पन्न हुआ। यह आयोजन तीन सत्रों में सम्पन्न हुआ-प्रथम उद्घाटन सत्र में सद्यः प्रकाशित 15 पुस्तकों का लोकार्पण किया गया जिनका विवरण इस प्रकार है, रवीन्द्र प्रभात की परिकल्पना और ब्लाग आलोचना कर्म (लेखक डाॅ0 सियाराम), रेड विलेज, उपन्यास लेखक डाॅ0 रमाकांत कुशवाहा, डाॅ0 चम्पा श्रीवास्तव की काव्यकृति-इन्द्रधनुषी धड़कन, डाॅ0 अशोक गुलशन के दो काव्य संग्रह शेष से अशेष तक एवं ख्वाब के साये, रामकिशोर मेहता की कृतियाँ-बहर से बाहर तथा जोखिमों के घेरे में, डाॅ0 मिथिलेश दीक्षित की पांच पुस्तकों ठहरे हुए पल (क्षणिक काव्य), क्षणिका के हस्ताक्षर, धूप और दीप (क्षणिक काव्य), सीपियों में बंद सागर (हाइकु काव्य), हिन्दी हाइकु काव्य, संदर्भ एवं विमर्श।
सारस्वत सम्मान
उत्सव का दूसरा सत्र प्रतिभागियों के सम्मान का सत्र था इसमें विविध विधाओं में सर्जनारत साहित्यकारों को विविध उपाधियों से विभूषित किया गया और अवध भारती संस्थान के अध्यक्ष डाॅ0 रामबहादुर मिश्र द्वारा इण्डोनेशिया और भारतीय प्रतिनिधियों को तुलसी-जायसी सम्मान से विभूषित किया गया। सम्मानित होने वाले प्रतिभागियों और सम्मान का विवरण इस प्रकार हैः-
राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित अवध भारती संस्थान के अध्यक्ष डाॅ0 रामबहादुर मिश्र को ‘प्रेमचंद साहित्य सम्मान’, डाॅ0 अनीता श्रीवास्तव ‘डाॅ0 विद्यानिवास मिश्र पत्रकारिता सम्मान’, डाॅ0 रमाकांत कुशवाहा को ‘कालिदास रंगकर्म सम्मान’, श्रीमती सत्या सिंह हुमैन को ‘महाश्वेता देवी सम्मान’, बालकृष्ण पाण्डेय को ‘कवि योगेश्वर मानस सम्मान’, डाॅ0 प्रतिमा वर्मा को ‘भारतेन्द्र नाट्य सम्मान’, विमलप्रसाद बहुगुण को ‘दादा साहब फाल्के परिकल्पना सम्मान’, रामकिशोर मेहता को ‘बाबा नागार्जुन परिकल्पना सम्मान’, ओम प्रकाश शुक्ल अमिय को ‘मुक्तिबेध परिकल्पना सम्मान’, डाॅ0 मिथिलेश दीक्षित को ‘महोदेवी वर्मा परिकल्पना सम्मान’, डाॅ0 चम्पा श्रीवास्तव को ‘सुभद्राकुमारी चैहान परिकल्पना सम्मान’, डाॅ0 सुषमा सिंह को ‘परिकल्पना साहित्य भूषण सम्मान’, शिवपूजन शुक्ल को ‘परिकल्पना स्वर सृजन सम्मान’, डाॅ0 माला गुप्ता को ‘परिकल्पना काव्य सम्मान’, डाॅ0 प्रमिला उपाध्याय को ‘परिकल्पना साहित्य सम्मान’, कैलाशचन्द्र जोशी को ‘परिकल्पना शिक्षा सम्मान’, डाॅ0 पूनम तिवारी को ‘परिकल्पना सृजन सम्मान’, श्री राजेन्द्र बहादुर श्रीवास्तव को ‘परिकल्पना पत्रकारिता सम्मान’, अंकित सिंह को ‘युवा प्रतिभा आर्यभट्ट सम्मान’, डाॅ0 उदयप्रताप सिंह को ‘परिकल्पना दक्षता सम्मान’।
ये भारतीय प्रतिभागी इलाहाबाद, कुशीनगर, देवरिया, महराजगंज, लखनऊ, रायबरेली, बहराइच, बाराबंकी, श्रीनगर, ऋषिकेश, आगरा, कानपुर, अहमदाबाद से आये थे। इंडोनिशिया के प्रतिभागियों में श्री केतन गुरू, शिल्पी धीरज शर्मा, ऐश्वर्या सिन्हा, अचिर्ता राय, ग्रेसी वालिया को परिकल्पना विशिष्ट सम्मान से अलंकृत किया गया।
बहुत सारे कार्यक्रमों का साक्षी बना10 जनवरी 2018 से 16 जनवरी 2018 का यह सप्ताह।
राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित अवध भारती संस्थान के अध्यक्ष डाॅ0 रामबहादुर मिश्र को ‘प्रेमचंद साहित्य सम्मान’, डाॅ0 अनीता श्रीवास्तव ‘डाॅ0 विद्यानिवास मिश्र पत्रकारिता सम्मान’, डाॅ0 रमाकांत कुशवाहा को ‘कालिदास रंगकर्म सम्मान’, श्रीमती सत्या सिंह हुमैन को ‘महाश्वेता देवी सम्मान’, बालकृष्ण पाण्डेय को ‘कवि योगेश्वर मानस सम्मान’, डाॅ0 प्रतिमा वर्मा को ‘भारतेन्द्र नाट्य सम्मान’, विमलप्रसाद बहुगुण को ‘दादा साहब फाल्के परिकल्पना सम्मान’, रामकिशोर मेहता को ‘बाबा नागार्जुन परिकल्पना सम्मान’, ओम प्रकाश शुक्ल अमिय को ‘मुक्तिबेध परिकल्पना सम्मान’, डाॅ0 मिथिलेश दीक्षित को ‘महोदेवी वर्मा परिकल्पना सम्मान’, डाॅ0 चम्पा श्रीवास्तव को ‘सुभद्राकुमारी चैहान परिकल्पना सम्मान’, डाॅ0 सुषमा सिंह को ‘परिकल्पना साहित्य भूषण सम्मान’, शिवपूजन शुक्ल को ‘परिकल्पना स्वर सृजन सम्मान’, डाॅ0 माला गुप्ता को ‘परिकल्पना काव्य सम्मान’, डाॅ0 प्रमिला उपाध्याय को ‘परिकल्पना साहित्य सम्मान’, कैलाशचन्द्र जोशी को ‘परिकल्पना शिक्षा सम्मान’, डाॅ0 पूनम तिवारी को ‘परिकल्पना सृजन सम्मान’, श्री राजेन्द्र बहादुर श्रीवास्तव को ‘परिकल्पना पत्रकारिता सम्मान’, अंकित सिंह को ‘युवा प्रतिभा आर्यभट्ट सम्मान’, डाॅ0 उदयप्रताप सिंह को ‘परिकल्पना दक्षता सम्मान’।
ये भारतीय प्रतिभागी इलाहाबाद, कुशीनगर, देवरिया, महराजगंज, लखनऊ, रायबरेली, बहराइच, बाराबंकी, श्रीनगर, ऋषिकेश, आगरा, कानपुर, अहमदाबाद से आये थे। इंडोनिशिया के प्रतिभागियों में श्री केतन गुरू, शिल्पी धीरज शर्मा, ऐश्वर्या सिन्हा, अचिर्ता राय, ग्रेसी वालिया को परिकल्पना विशिष्ट सम्मान से अलंकृत किया गया।
बहुत सारे कार्यक्रमों का साक्षी बना10 जनवरी 2018 से 16 जनवरी 2018 का यह सप्ताह।
तीसरा सत्र काव्य संध्या को समर्पित था। सत्या सिंह हुमैन की अध्यक्षता और डाॅ0 रामबहादुर मिश्र के संचालन में लगभग बीस कवियों ने काव्य पाठ किया जिनमें प्रमुख हैः- रवीन्द्र प्रभात, रमाकांत कुशवाहा, कुसुम वर्मा, उमेश पटेल ‘श्रीश’, शिवपूजन शुक्ल, धीरेनद्र रागड़, डाॅ0 चम्पा श्रीवास्तव, कनकलता गुप्ता, ओम प्रकाश शुक्ल ‘अमिय’, राम किशोर मेहता, डाॅ0 अशोक गुलशन, विमल प्रसाद बहुगुणा, सत्या सिंह, डाॅ0 माला गुप्ता, डाॅ0 प्रभा गुप्ता, डाॅ0 मिथिलेश दीक्षित, डाॅ0 सुषमा सिंह, राजेन्द्र बहादुर श्रीवास्तव, डाॅ0 प्रमिला उपाध्याय, डाॅ0 पूनम तिवारी तथा कैलाशचन्द्र जोशी।
कवि सम्मेलन के दौरान ओम प्रकाश शुक्ल "अमिय", सत्या सिंह हुमैन, डॉ अशोक गुलशन, डॉ राम बहादुर मिश्र, डॉ मिथिलेश दीक्षित, डॉ सुषमा सिंह, डॉ पूर्णिमा उपाध्याय, डॉ माला गुप्ता, डॉ पूनम तिवारी, डॉ चम्पा श्रीवास्तव, डॉ रमाकांत कुशवाहा कुशाग्र, डॉ उमेश पटेल श्रीश, शिव पूजन शुक्ल, कुसुम वर्मा, राम किशोर मेहता, कैलाश चन्द्र जोशी आदि की कवितायें खूब सराही गयी।
कवि सम्मेलन के दौरान ओम प्रकाश शुक्ल "अमिय", सत्या सिंह हुमैन, डॉ अशोक गुलशन, डॉ राम बहादुर मिश्र, डॉ मिथिलेश दीक्षित, डॉ सुषमा सिंह, डॉ पूर्णिमा उपाध्याय, डॉ माला गुप्ता, डॉ पूनम तिवारी, डॉ चम्पा श्रीवास्तव, डॉ रमाकांत कुशवाहा कुशाग्र, डॉ उमेश पटेल श्रीश, शिव पूजन शुक्ल, कुसुम वर्मा, राम किशोर मेहता, कैलाश चन्द्र जोशी आदि की कवितायें खूब सराही गयी।
चैथा और अंतिम सत्र सांस्कृतिक संध्या को समर्पित था। इन्डोनेशिया के कलाकारों तथा इण्डोनेशियाई बच्चों की सांस्कृतिक प्रस्तुति तथा जकार्ता स्थित जवाहरलाल नेहरू भारतीय सांस्कृतिक परिषद के कलाकारों की हारमोनियम और तबले की युगलबंदी सर्वश्रेष्ठ प्रस्तुतियों में से एक रही। जकार्ता के श्री केतन गुरु जी, लखनऊ की कुसुम वर्मा और गोंडा के शिव पूजन शुक्ल के द्वारा प्रस्तुत भजन और लोकगीत दुर्लभ प्रस्तुतियों में से एक रही।
जकार्ता की अर्चिता राम के निर्देशन में बाल कलाकारों के समूह ने एक समूह नृत्य प्रस्तत करके सभा को सम्मोहित किया। लोक गायक शिवपूजन शुक्ला एवं प्रख्यात अवधी लोग गायिका कुसुम वर्मा के लोकगीतों के गीतों ने सभागार में उपस्थित अपार जन समूह को सम्मोहित किया। इसी क्रम में इलाहाबाद की नाट्यकर्मी डाॅ0 प्रतिभा वर्मा द्वारा एकल मंचित नाटिका ‘एकाकीपन’ ने एक संवेदनशील विषय पर प्रभावी प्रस्तुति से दर्शको को संवेदनशील बनने का संदेश दिया।
योग प्रस्तुति
जकार्ता की अर्चिता राम के निर्देशन में बाल कलाकारों के समूह ने एक समूह नृत्य प्रस्तत करके सभा को सम्मोहित किया। लोक गायक शिवपूजन शुक्ला एवं प्रख्यात अवधी लोग गायिका कुसुम वर्मा के लोकगीतों के गीतों ने सभागार में उपस्थित अपार जन समूह को सम्मोहित किया। इसी क्रम में इलाहाबाद की नाट्यकर्मी डाॅ0 प्रतिभा वर्मा द्वारा एकल मंचित नाटिका ‘एकाकीपन’ ने एक संवेदनशील विषय पर प्रभावी प्रस्तुति से दर्शको को संवेदनशील बनने का संदेश दिया।
योग प्रस्तुति
अंतरराष्ट्रीय हिन्दी उत्सव में विशेष सत्र के अंतर्गत लखनऊ के डॉ॰ उदयप्रताप सिंह ने इन्डोनेशिया और भारत सहित विभिन्न देशों से आए प्रतिभागियों को योग के प्रमुख टिप्स दिये और उन्हें इसके फायदों से अवगत कराया। उनका मानना है, कि योग शब्द संस्कृत धातु ‘‘युज‘‘ से निकला है, जिसका मतलब है व्यक्तिगत चेतना या आत्मा का सार्वभौमिक चेतना या रूह से मिलन। योग, भारतीय ज्ञान की पांच हजार वर्ष पुरानी शैली है। हालांकि कई लोग योग को केवल शारीरिक व्यायाम ही मानते हैं, जहाँ लोग शरीर को मोडते, मरोड़ते, खिंचते हैं और श्वास लेने के जटिल तरीके अपनाते हैं। यह वास्तव में केवल मनुष्य के मन और आत्मा की अनंत क्षमता का खुलासा करने वाले इस गहन विज्ञान के सबसे सतही पहलू हैं। योग विज्ञान में जीवन शैली का पूर्ण सार आत्मसात किया गया है।
अंतरराष्ट्रीय हिन्दी उत्सव में विशेष सत्र के अंतर्गत इलाहाबाद की डॉ प्रतिमा वर्मा ने 45 मिनट की नाट्य प्रस्तुति की। इस नाटक का नाम था "अकेलापन"।
संगीत दिया रवि कुशवाहा ने और लेखन निर्देशन किया अफजल खान ने। प्रस्तुति में सहायक रहे मास्टर अर्णव वर्मा और शुभेन्दु प्रभात ।
अविस्मरणीय प्रस्तुति के क्रम में इलाहाबाद की रंगकर्मी डॉ प्रतिमा वर्मा द्वारा अभिनीत उक्त नाटक "एकाकीपन" की भावपूर्ण प्रस्तुति श्रोताओं का मन मोहने में सफल रही।
संगीत दिया रवि कुशवाहा ने और लेखन निर्देशन किया अफजल खान ने। प्रस्तुति में सहायक रहे मास्टर अर्णव वर्मा और शुभेन्दु प्रभात ।
अविस्मरणीय प्रस्तुति के क्रम में इलाहाबाद की रंगकर्मी डॉ प्रतिमा वर्मा द्वारा अभिनीत उक्त नाटक "एकाकीपन" की भावपूर्ण प्रस्तुति श्रोताओं का मन मोहने में सफल रही।
अंतरराष्ट्रीय हिन्दी उत्सव में विशेष सत्र के अंतर्गत बाली के गरइंड जूरी सभागार में हाईकू गोष्ठी का भी आयोजन हुआ, जिसमें डॉ मिथिलेश दीक्षित, डॉ प्रभा गुप्ता, डॉ माला गुप्ता, डॉ सुषमा सिंह, सत्या सिंह, के सी जोशी, डॉ अशोक गुलशन, डॉ उदय प्रताप सिंह, रवीन्द्र प्रभात आदि की उपस्थिती रही।
हाईकू गोष्ठी का संचालन डॉ उमेश पटेल श्रीश ने किया।
इण्डोनेशियाई कलाकारों द्वारा प्रस्तुत रामायण की प्रस्तुति इस यात्रा का अद्वितीय आकर्षण रहा। सीता अपहरण, लंका कांड, लंका दहन, लक्षमन सूर्पनखा संवाद, रावण बध आदि को अत्यंत उत्कृष्टता के साथ प्रस्तुत किया गया।
पचास के आसपास साहित्यकारों, पत्रकारों, टेक्नोक्रेटो, संस्कृतिकर्मियों का सारस्वत सम्मान मुख्य आकर्षण का केंद्र रहा। साथ ही समारोह की मुख्य अतिथि रहीं मिस इन्डोनेशिया-इंडिया सुश्री ग्रेस वालिया तथा विशिष्ट अतिथि इंडो-इंडियन फ्रेंडशिप एसोशिएशन की अध्यक्ष सुश्री पूनम सागर, सामाजिक कार्यकर्ता सुश्री लवलीन वालिया और जकार्ता स्थित साधु वासवानी सेंटर के प्रतिनिधि श्री केतन गुरु जी, जकार्ता स्थित आत्मा सेल्फ एक्स्प्रेशन की अध्यक्षा सुश्री शिल्पी धीरज शर्मा, इंडोनेशियन-इंडियन फ्रेंडशिप एसोसिएशन की अध्यक्षा सुश्री ऐश्वर्या सिन्हा और समस्त प्रस्तुतियों की संगीत निर्देशक जकार्ता निवासी सुश्री अर्चिता रॉय का सान्निध्य सुखद रहा।
सचमुच अविस्मरणीय रहा यह उत्सव जो स्मृतियों के पन्नों में दर्ज हो गया अद्भुत, अद्वितीय और अविस्मरणीय उत्सव के रूप में।इस सात दिवसीय यात्रा में बाली द्वीप और जकार्ता के प्राकतिक स्थलों के भ्रमण ने प्रतिभागियों को सम्मोहित किया।
हाईकू गोष्ठी का संचालन डॉ उमेश पटेल श्रीश ने किया।
इण्डोनेशियाई कलाकारों द्वारा प्रस्तुत रामायण की प्रस्तुति इस यात्रा का अद्वितीय आकर्षण रहा। सीता अपहरण, लंका कांड, लंका दहन, लक्षमन सूर्पनखा संवाद, रावण बध आदि को अत्यंत उत्कृष्टता के साथ प्रस्तुत किया गया।
पचास के आसपास साहित्यकारों, पत्रकारों, टेक्नोक्रेटो, संस्कृतिकर्मियों का सारस्वत सम्मान मुख्य आकर्षण का केंद्र रहा। साथ ही समारोह की मुख्य अतिथि रहीं मिस इन्डोनेशिया-इंडिया सुश्री ग्रेस वालिया तथा विशिष्ट अतिथि इंडो-इंडियन फ्रेंडशिप एसोशिएशन की अध्यक्ष सुश्री पूनम सागर, सामाजिक कार्यकर्ता सुश्री लवलीन वालिया और जकार्ता स्थित साधु वासवानी सेंटर के प्रतिनिधि श्री केतन गुरु जी, जकार्ता स्थित आत्मा सेल्फ एक्स्प्रेशन की अध्यक्षा सुश्री शिल्पी धीरज शर्मा, इंडोनेशियन-इंडियन फ्रेंडशिप एसोसिएशन की अध्यक्षा सुश्री ऐश्वर्या सिन्हा और समस्त प्रस्तुतियों की संगीत निर्देशक जकार्ता निवासी सुश्री अर्चिता रॉय का सान्निध्य सुखद रहा।
सचमुच अविस्मरणीय रहा यह उत्सव जो स्मृतियों के पन्नों में दर्ज हो गया अद्भुत, अद्वितीय और अविस्मरणीय उत्सव के रूप में।इस सात दिवसीय यात्रा में बाली द्वीप और जकार्ता के प्राकतिक स्थलों के भ्रमण ने प्रतिभागियों को सम्मोहित किया।
(इन्डोनेशिया से डॉ राम बहादुर मिश्र की रपट)
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