लालगंज (रायबरेली): रविवार: 15 जुलाई 2018: बैसवारा इंटर कालेज के सभागार में कव्यालोक साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था ने सुप्रसिद्ध गीतकार रहे डॉ शिवबहादुर सिंह भदौरिया की जयंती पर साहित्यकार सम्मान समारोह का भव्य आयोजन किया, जिसमें एक दर्जन से अधिक कवियों और साहित्यकारों को सुप्रसिद्ध साहित्यकारों के नाम का स्मृतिपत्र समेत अंगवस्त्र एवं मोमेंटो देकर सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम के दौरान प्रतिष्ठित समीक्षक डॉ ओम प्रकाश अवस्थी (फतेहपुर) एवं वरिष्ठ कवि एवं आलोचक श्री नचिकेता (पटना) को 'डॉ शिवबहादुर सिंह भदौरिया स्मृति सम्मान', वरिष्ठ कवि एवं लेखक श्री रामनारायण रमण (डलमऊ-रायबरेली) को 'पंडित ब्रजनन्दन पांडेय स्मृति सम्मान', गीतकार श्री देवेंद्र पांडेय देवन (रायबरेली) को 'डॉ उपेंद्र बहादुर सिंह स्मृति सम्मान', शिक्षाविद एवं व्यंग्य कवि श्री हरिनाम सिंह को 'प्रो हरेन्द्र बहादुर सिंह सम्मान', वरिष्ठ नवगीतकार श्री शीलेंद्र सिंह चौहान (लखनऊ) को 'रामप्यारे श्रीवास्तव नीलम स्मृति सम्मान', वरिष्ठ नवगीतकार श्री विनोद श्रीवास्तव को 'मधुकर खरे स्मृति सम्मान', युवा नवगीतकार, आलोचक एवं सम्पादक डॉ अवनीश सिंह चौहान को 'दिनेश सिंह स्मृति सम्मान' एवं वरिष्ठ कवि श्री सतीश कुमार सिंह (सरेनी) को 'डॉ रामप्रकाश सिंह स्मृति सम्मान' से अलंकृत किया गया। इस अवसर पर पूर्व विधायक श्री सुरेंद्र बहादुर सिंह, नगर पंचायत अध्यक्ष श्री रामबाबू गप्ता, पूर्व नपं अध्यक्ष श्री सुरेश नारायण सिंह 'बच्चा बाबू', वरिष्ठ लेखक श्री नरेंद्र भदौरिया को भी सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में मौजूद श्रद्धेय स्वामी भाष्करस्वरूप जी महाराज, संस्था के अध्यक्ष प्रतिष्ठित शिक्षाविद डॉ महादेव सिंह, संस्था के महामंत्री प्रतिष्ठित साहित्यकार डॉ विनय भदौरिया आदि ने स्व भदौरिया के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला और उनकी पावन स्मृतियों को श्रद्धापूर्वक नमन किया। वरिष्ठ लेखक-पत्रकार श्री नरेंद्र भदौरिया ने कहा कि स्व भदौरिया का साहित्यिक अवदान श्लाघनीय है। शायद तभी उनके गीत सुनकर आज भी ऐसा लगता है जैसे कोई हमारे दिल की बात कह रहा हो। प्रधानाचार्य रामप्रताप सिंह ने कहा कि डॉ भदौरिया की कविताओं में आक्रोश भी बड़े सहज ढंग से प्रस्तुत हुआ है; यह कविताओं के माध्यम से उनके कहने का सलीका और साहस ही था कि उन्होंने लिखा कि 'ना काबिल पैताने के, बैठे हैं सिरहाने लोग।'

वरिष्ठ साहित्यकार डॉ ओमप्रकाश अवस्थी ने कहा कि डॉ भदौरिया एक अप्रतिम शब्द-शिल्पी थे। वरिष्ठ साहित्यकार श्री नचिकेता ने बताया कि कुव्यवस्था और अनाचार के विरुद्ध डॉ साहब ने कविता के माध्यम से जो भी लिखा है वह भावक को सहजरूप से प्रेरित करने में समर्थ है। श्री शैलेन्द्र सिंह चौहान ने कहा कि 'पुरवा जो डोल गयी' और 'नदी का बहना मुझमें हो' ने स्व भदौरिया जी को अंतरराष्ट्रीय फलक पर पहचान दिलाने का काम किया है। डॉ अवनीश सिंह चौहान ने जाने-माने नवगीतकार एवं नये-पुराने पत्रिका के यशस्वी संपादक स्व दिनेश सिंह के कुछ रोचक संस्मरणों को श्रोताओं के समक्ष प्रस्तुत करते हुए कहा कि श्रद्धेय डॉ शिव बहादुर सिंह भदौरिया जी दिनेश सिंह जी के गुरुदेव रहे हैं और इस नाते वह मेरे दादा गुरु हुए।

इस अवसर पर 800 से अधिक श्रोताओं से भरे सभागार में सर्वश्री इंद्रेश सिंह भदौरिया, रमाकांत, राजेश सिंह फौजी, डॉ निरंजन राय, मनोज पांडेय, विश्वास बहादुर सिंह, चंद्रप्रकाश पांडेय, वासुदेव सिंह गौढ़ आदि प्रमुख रूप से मौजूद रहे। कार्यक्रम का बेहतरीन संचालन शिक्षक नेता आशीष सिंह सेंगर ने किया

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