()डॉ0 मिथिलेश दीक्षित
सपनों सा सुंदर देश, मॉरीशस, जहाँ सफेद रेत से चमकते तट, सूर्यास्त का नज़ारा, खुला समुद्र और चट्टानों से लहरों के टकराते हुए स्वप्निल दृश्य को देखकर ऐसा महसूस होता है कि स्वर्ग यहीं कहीं हैं। मोती के समान सुंदर तथा सफेद मॉरीशस के चारों तरफ 100 मील का समुद्री तट और मीलों तक फैली रूपहली रेत ही इसका मुख्य आकर्षण हैं।
द्वीप में हर ओर बड़े-बड़े सार्वजनिक समुद्र तट हैं जो सप्ताह के दौरान आपके आराम करने के लिए अनंत संभावनाएँ और सप्ताहांतों में स्थानीय लोगों से मिलने-जुलने के व्यापक अवसर मुहैया कराते हैं। अधिकांश सार्वजनिक तट तैरने के लिए आदर्श हैं।
मॉरीशस का उत्तरी भाग वाटर स्पोर्ट्स जैसे वाटर स्कीइंग, विंड सर्फिंग, सेलिंग, गहरे जल में मछलियाँ पकड़ने और पैरासेलिंग आदि के लिए प्रसिद्ध है। शाम को यहाँ के बार, रेस्तरां और क्लब जीवंत हो उठते हैं जहाँ से आप भी देख सकते हैं।
पूर्वी हिस्सा अधिक हरा-भरा और अल्पविकसित है, जिसकी वजह से यहाँ पर आपको प्रकृति पूरे रंग में दिखती हैं। पालमार और बैल मार के सफेद समुद्र तट बहुत ही सुरम्य हैं। दक्षिण पूर्व अपने ऊँचे चट्टानों के लिए मशहूर है, जहाँ से द्वीप के दक्षिणी सिरे की ओर जाने पर आपको खूबसूरत नज़ारे दिखते हैं। यहाँ पर चट्टानों के बीच के दरारों से खुला समुद्र ज़मीन तक आ जाता है और चट्टानों से टकराते हुए एक स्वप्निल दृश्य उत्पन्न करता है।
पश्चिमी तट में आप अद्भुत सूर्यास्तों और गहरे जल में मछली पकड़ने का आनंद उठा सकते हैं। सर्फरों को टेमेरिन जाना चाहिए जो मॉरीशस का सर्फिग सेंटर है। यहाँ पर शुरुआत करने वाले लोग सर्फ स्कूल में सर्फिंग के बेसिक्स सीख सकते हैं। मॉरीशस के अधिकांश बीच होटल अपने ग्राहकों को कांप्लिमेंटरी वाटर स्पोर्ट्स सुविधाएँ मुहैया कराते हैं। स्कूबा डाइविंग, पैरासेलिंग और डीप सी फिशिंग अतिरिक्त लागत पर उपलब्ध है।
मारीशस को 1968 में अंग्रेजी शासन से पूर्ण आजादी मिली।
मॉरीशस की जलवायु समशीतोष्ण है। यहां मई से अक्टूबर तक सर्दियों का मौसम रहता है लेकिन तापमान 12 डिग्री सेल्सियस से कम नहीं जाता है। नवंबर से अप्रैल तक गर्मी के मौसम में तापमान 30 डिग्री सेल्सियस से अधिक नहीं होता है। चूंकि मॉरीशस चारों ओर समुद्र से घिरा है इसलिए यहां का मौसम वर्ष भर सुहावना बना रहता है। यहां गर्मी में 14 घंटे का और सर्दी में 12 घंटे का दिन होता है। यहां बरसात वर्ष भर होती रहती है।
मारीशस में लिली और ताड़ के वृक्षों की शोभा देखते ही बनती है। पांपलेमस में रायल बोटेनिकल गार्डन यहां का सबसे सुंदर गार्डन है। मारीशस की राजधानी पोर्टलुई यहां का सबसे बड़ा शहर एवं बंदरगाह है। यहां की चैड़ी, साफ−सुथरी सड़कें तथा यातायात व्यवस्था सैलानियों का मन मोह लेती हैं।
पोर्टलुई में बड़े−बड़े अति आधुनिक होटल एवं रेस्तरां हैं, जहां अंग्रेजी, चीनी व भारतीय भोजन आसानी से सुलभ है।
मारीशस में खाने−पीने की हर चीज बहुत महंगी हैं क्योंकि यहां घी, दूध, मक्खन, सब्जियां, अनाज, कपड़े आदि सब कुछ विदेशों से आयात किया जाता है। यहां ज्यादातर खाने की वस्तुएं दक्षिण अफ्रीका से तथा कपड़े व गहने भारत, जापान और कोरिया से आयात किए जाते हैं। पोर्ट लुइस में समुद्र के किनारे एक आप्रवासी घाट स्थापित है, इस स्थान पर लगभग साढ़े चार लाख लोग समुद्र के रास्ते लाए गए थे जिनमें अधिकतर भारतवंशी थे। उतरने के बाद उन्हें यहां दो से तीन दिन रखा जाता था।
डॉक्टरी जांच और रजिस्ट्रेशन होता था और फिर उन्हें उनके मालिकों को सौंप दिया जाता था।
इस ऐतिहासिक स्थान पर इंदिरा गांधी, एपीजे कलाम से लेकर प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह तक जा चुके हैं, यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर इमारत घोषित किया है।
यहाँ का स्थानीय जायका 3 महाद्वीपों से आया है जो समय-समय पर उन महाद्वीपों से यहाँ आकर बसे विभिन्न सांस्कृतिक विरासतों और पाक परंपराओं वाले निवासियों ने विकसित की हैं। आगंतुक एक ही जगह भारतीय, चीनी, ग्रेओल और यूरोपीय व्यंजनों को मिलाकर अनूठा स्वाद बनाते हैं।
यहाँ का स्थानीय पसंदिदा स्नैक ‘‘ढोल पूरी‘‘ जरूर आजमाएँ, यह पीली मटर की दाल भरे आटे की पूरी होती है जिसे करी और टमाटर के सॉस के साथ परोसा जाता है। पराठा, जिल्र्र बाइट्स या ‘‘समोसा‘‘ भी यहाँ खूब पसंद किए जाते हैं।
मॉरीशस की आबादी लगभग 12 लाख है जिसमें 70 फीसदी भारतवंशी हैं, बाकी के ईसाई, मुस्लिम और बौद्ध हैं। इनमें बड़ी संख्या बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोगों की है जिन्हें बंधुआ मजदूर बनाकर यहां लाया गया था, लेकिन बाद में उन्होंने अपने को इस देश में स्थापित किया।
यहां महाशिवरात्रि बड़े जोर शोर से मनाई जाती है। राजधानी पोर्ट लुइस में एक गंगा तालाब है जहां भव्य शिव मंदिर है जहां लाखों लोग इस अवसर पर मौजूद रहते हैं। इसके अलावा होली, दीपावली आदि पर्व भी यहा धूम धाम से मनाने की प्रथा है। आशय यह है कि मॉरीशस में भारतीय संस्कृति और भारतीयता की गहरी छाप है।
इस देश का भोजन, पहनावा, रीति रिवाज कोई भी क्षेत्र भारतीय से अछूता नहीं है। हालांकि सरकारी भाषा अंग्रेजी है लेकिन आम बोलचाल की भाषा अफ्रीकी मूल की क्रियोल है जिसमें विभिन्न भाषाओं की छाप है, लेकिन हिंदी और भोजपुरी बोलने और समझने वालों की संख्या भी बड़ी है।
मॉरीशस का समाज विभिन्न जातीय समूहों से मिलकर बना है, लेकिन देश आजाद होने के बाद से यहां भारतीय मूल के लोगों का दबदबा रहा है। यहां के लोगों में अधिकांश भारत, अफ्रीका, फ्रांस, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलियाई मूल के हैं।
यहां सरकारी कामकाज में अंग्रेजी भाषा का इस्तेमाल होता है लेकिन लोग हिंदी, भोजपुरी, फ्रेंच, क्रियोल भाषाओं का इस्तेमाल करते हैं।
मॉरीशस बहु-सांस्कृतिक राष्ट्र है। भारतीयों के साथ-साथ अंग्रेज, फ्रांसीसी, अफ्रीकी और चीनी लोग भी हैं यहाँ पर। वह भारतीयता से अपने संबंधों को अहमियत देता है मगर अपनी स्वतंत्र पहचान बनाने के लिए सजग है।
हिंदी कविताओं में ‘‘पवित्र और महान मॉरीशस माँ‘‘ का जिक्र होता है।
भारत के साथ आत्मीयता है, बिछुड़ने की कसक है लेकिन देशभक्ति मॉरीशस के लिए है। मॉरीशस हम भारतीयों के लिए किसी अन्य सामान्य पर्यटन गंतव्य जैसा नहीं है। यदि धार्मिक, वैवाहिक, कारोबारी और स्वास्थ्य पर्यटन की तर्ज पर ‘‘भावनात्मक पर्यटन‘‘ जैसी भी कोई चीज होती तो हमारे लिए मॉरीशस शीर्ष पर्यटन स्थल होता।
लेखिका पचास से अधिक ग्रन्थों की सर्जक, संपादक तथा अनेक सम्मानों से विभूषित हिन्दी की लब्ध प्रतिष्ठ साहित्यकार हैं। साथ ही शोध, समीक्षा, निबंध, हाइकू, क्षणिका, लघुकथा की विशिष्ट और अग्रणी हस्ताक्षर हैं। इनके साहित्य पर अनेक शोध हो चुके हैं तथा सुप्रसिद्ध समीक्षकों द्वारा अनेकानेक शोधात्मक, समीक्षात्मक ग्रंथ प्रकाशित किए जा चुके हैं। देश की अनेक संस्थाओं तथा पत्रिकाओं की ये संरक्षक हैं और अनेक राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय संदर्भ-ग्रन्थों, कोश ग्रन्थों, इतिहास ग्रन्थों में इनका परिचय प्रकाशित है।
डॉ.मिथिलेश जी ने मॉरिशस पर बहुत अच्छा आलेख लिखा महत्वपूर्ण जानकारी मिली बहुत बहुत बधाई एवम आभार मिथिलेश जी
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