पाकिस्तान में आम चुनाव के नतीजे आने के बाद पीटीआई प्रमुख इमरान खान का
वजीर-ए-पाकिस्तान बनाना लगभग तय हो चुका है। वे पाकिस्तान के स्वाधीनता दिवस अर्थात आगामी
14 अगस्त को प्रधानमंत्री पद की शपथ ले सकते हैं। वहीँ इमरान खान को चुनौती देने के लिए दो प्रतिद्वंद्वी पार्टियों ने हाथ मिलाने का ऐलान किया है। पीएमएल-एन और पीपीपी पार्टियां अब प्रधानमंत्री पद के लिए अपना उम्मीदवार खड़ा करेंगी। ऐसे में पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में बहुमत साबित करने की दिशा में इमरान खान की मुश्किलें बढ़ सकती है। सरकार बनाने के लिए उन्हें छोटी पार्टियों या निर्दलीयों का समर्थन लेना
पड़ेगा। यह माना जा रहा है कि पाकिस्तानी सेना की मदद से इमरान
सरकार बनाने में कामयाब होंगे।
हालांकि, कुछ छोटी पार्टियों के गठबंधन से इमरान खान के लिए प्रधानमंत्री
के तौर पर चुने जाने के कदम पर खास फर्क नहीं पड़ेगा लेकिन इससे संसद में
उनके पास सीटें जरूर कम हो जाएंगी, जिससे उनका 'नया पाकिस्तान' बनाने का अजेंडा पूरा होना मुश्किल
होगा।
'नया पाकिस्तान' बनाने के वादे पर इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान
तहरीए-ए-इंसाफ आम चुनाव में 116 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बन गई है। अब
देखना दिलचस्प होगा कि पाकिस्तान के आम चुनावों में सबसे बड़ी पार्टी के
तौर पर उभरी पाकिस्तान तहरीक-ए- इंसाफ (पीटीआई) के प्रमुख इमरान खान मुल्क
के मौजूदा खतरनाक हालातों को कैसे संभालते हैं।
दूसरी बात जो सबसे महत्वपूर्ण है वह है कि इमरान खान को सरकारी हेलीकॉप्टरों के
दुरुपयोग के संबंध में देश के भ्रष्टाचार रोधी निकाय ने समन भेजा है। उन्हें सात अगस्त को पेश होने के लिए कहा गया है। इससे खैबर पख्तूनख्वा
प्रांत के खजाने को 21.7 लाख रुपये का नुकसान हुआ। खैबर पख्तूनख्वा में साल 2013 से खान की पार्टी की प्रांतीय सरकार
है। एनएबी 72 घंटे से अधिक समय तक सरकारी हेलीकॉप्टरों के दुरूपयोग से
प्रांतीय सरकार के खजाने को 21.7 लाख रुपये के नुकसान होने के संबंध में
जांच कर रही है।
तीसरी बात जो सबसे महत्वपूर्ण है वह है कि इमरान खान ऐसे शख्स हैं जो पाकिस्तान की समस्याओं के लिए अमेरिका को जिम्मेदार ठहराते रहे हैं। उनका मानना है कि अमेरिका सदैव पाकिस्तान को एक पायदान के तौर पर इस्तेमाल करता रहा है। उनके इस दृष्टिकोण से अमेरिकी सरकार को चिंतित होना लाजमी है। इस चुनाव में उनके भाषणों में भी उनके अमेरिका विरोधी रुख को देखा और सुना गया। ऐसे में यह सवाल उठना लाजमी है कि पाकिस्तान में यदि उनकी पार्टी की सरकार बनती है, तो क्या दोनों देशों के संबंधों में पहले जैसे प्रगाढ़ता रहेगी। यह अमेरिका के लिए भी यक्ष सवाल है।
तीसरी बात जो सबसे महत्वपूर्ण है वह है कि इमरान खान ऐसे शख्स हैं जो पाकिस्तान की समस्याओं के लिए अमेरिका को जिम्मेदार ठहराते रहे हैं। उनका मानना है कि अमेरिका सदैव पाकिस्तान को एक पायदान के तौर पर इस्तेमाल करता रहा है। उनके इस दृष्टिकोण से अमेरिकी सरकार को चिंतित होना लाजमी है। इस चुनाव में उनके भाषणों में भी उनके अमेरिका विरोधी रुख को देखा और सुना गया। ऐसे में यह सवाल उठना लाजमी है कि पाकिस्तान में यदि उनकी पार्टी की सरकार बनती है, तो क्या दोनों देशों के संबंधों में पहले जैसे प्रगाढ़ता रहेगी। यह अमेरिका के लिए भी यक्ष सवाल है।
जानकार कह रहे हैं कि आने वाले समय में इमरान खान के लिए नया पाकिस्तान का
वादा निभा पाना बिल्कुल भी आसान नहीं होगा। क्योंकि इमरान ऐसे दौर में
पाकिस्तान की कमान संभालने जा रहे हैं, जब कई मोर्चों पर देश की स्थिति
बेहद ही खराब है। इतना ही नहीं, जानकार यह भी कह रहे हैं कि भारत भी पड़ोसी
के नए नेतृत्व से ज्यादा उम्मीद न करे तो बेहतर होगा।
नए पाकिस्तान की परिकल्पना को साझा करते हुए इमरान खान ने दावा किया कि अब पाकिस्तान में कानून का बोलबाला होगा। इसके साथ ही नए पाकिस्तान में भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने की कवायद को जोर दिया जाएगा। इस काम के लिए इमरान ने संकेत दिया कि अब उनके कार्यकाल में भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई एक केन्द्रीय एजेंसी द्वारा लड़ी जाएगी। इस एजेंसी के दायरे में सबसे पहले देश का प्रधानमंत्री और उनके मंत्री को रखा जाएगा।
लिहाजा, यहां तक तो इमरान खान ने भारत में चल रही लोकपाल की कवायद का फॉर्मूला अपने देश को सुनाया। लेकिन इसके बाद मिसाल के तौर पर इमरान ने कहा कि वह इसके लिए चीन का रुख करेंगे। इमरान के मुताबिक वह सरकार की कमान संभालने के बाद चीन के लिए एक विशेष दल रवाना करेंगे जो चीन सरकार से भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने की बारीकियों को सीख कर पाकिस्तान से भ्रष्टाचार का सफाया करने का बीड़ा उठाएगी।
हालाँकि इमरान खान को फिलहाल पाकिस्तान की सेना का ‘लाडला’ माना जा रहा है लेकिन करीब छह साल पहले उन्होंने बयान दिया था कि पाकिस्तान में ‘सेना के दिन अब लद गए हैं।’ इमरान की पार्टी पीटीआई ऐसे समय में सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी है जब उनकी प्रतिद्वंद्वी पार्टियों और कई टिप्पणीकारों का मानना है कि पूर्व क्रिकेटर अब सेना के ‘लाडले’ बन गए हैं और सेना उनकी मदद के लिए पर्दे के पीछे रहकर काम कर रही है। ऐसे में इमरान के 2012 के बयान और उनके आज के रुख में बड़ा फर्क देखा जा रहा है।
बहरहाल इमरान खान की ताजपोशी निश्चित है और प्रधान मंत्री बनाना भी तय माना जा रहा है मगर विपक्षी पार्टियाँ उन्हें हर मोड़ पर अवरोध पैदा करेगी इसमें भी कोई शक नहीं है। ऐसे में उन्हें बजीर-ए-आज़म बनाने के बावजूद अपने अजेंडे को तमिल करने में असुविधा होगी और
नए पाकिस्तान की परिकल्पना को साझा करते हुए इमरान खान ने दावा किया कि अब पाकिस्तान में कानून का बोलबाला होगा। इसके साथ ही नए पाकिस्तान में भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने की कवायद को जोर दिया जाएगा। इस काम के लिए इमरान ने संकेत दिया कि अब उनके कार्यकाल में भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई एक केन्द्रीय एजेंसी द्वारा लड़ी जाएगी। इस एजेंसी के दायरे में सबसे पहले देश का प्रधानमंत्री और उनके मंत्री को रखा जाएगा।
लिहाजा, यहां तक तो इमरान खान ने भारत में चल रही लोकपाल की कवायद का फॉर्मूला अपने देश को सुनाया। लेकिन इसके बाद मिसाल के तौर पर इमरान ने कहा कि वह इसके लिए चीन का रुख करेंगे। इमरान के मुताबिक वह सरकार की कमान संभालने के बाद चीन के लिए एक विशेष दल रवाना करेंगे जो चीन सरकार से भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने की बारीकियों को सीख कर पाकिस्तान से भ्रष्टाचार का सफाया करने का बीड़ा उठाएगी।
हालाँकि इमरान खान को फिलहाल पाकिस्तान की सेना का ‘लाडला’ माना जा रहा है लेकिन करीब छह साल पहले उन्होंने बयान दिया था कि पाकिस्तान में ‘सेना के दिन अब लद गए हैं।’ इमरान की पार्टी पीटीआई ऐसे समय में सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी है जब उनकी प्रतिद्वंद्वी पार्टियों और कई टिप्पणीकारों का मानना है कि पूर्व क्रिकेटर अब सेना के ‘लाडले’ बन गए हैं और सेना उनकी मदद के लिए पर्दे के पीछे रहकर काम कर रही है। ऐसे में इमरान के 2012 के बयान और उनके आज के रुख में बड़ा फर्क देखा जा रहा है।
बहरहाल इमरान खान की ताजपोशी निश्चित है और प्रधान मंत्री बनाना भी तय माना जा रहा है मगर विपक्षी पार्टियाँ उन्हें हर मोड़ पर अवरोध पैदा करेगी इसमें भी कोई शक नहीं है। ऐसे में उन्हें बजीर-ए-आज़म बनाने के बावजूद अपने अजेंडे को तमिल करने में असुविधा होगी और
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