(400 पार? ऐसा सिर्फ़ एक बार हुआ है, दिलचस्प बात यह है कि यह मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा की मौजूदा स्थिति से अलग नहीं है।) एग्जिट पोल 2024 में भाजपा (एनडीए) की तीसरी बार शानदार वापसी के साथ दक्षिण में महत्वपूर्ण बढ़त का अनुमान लगाया है। यह रुझान महत्वपूर्ण है क्योंकि भाजपा ने पिछले 10 वर्षों में दक्षिणी राज्यों, विशेष रूप से केरल और तमिलनाडु में पैठ बनाने के लिए महत्वपूर्ण प्रयास किए हैं। भाजपा को 2019 की 303 सीटों की संख्या से बेहतर प्रदर्शन करने की उम्मीद है और सहयोगियों के साथ मिलकर वह " अब की बार, 400 पार " के अपने नारे को साकार करने के करीब भी पहुंच सकती है। कन्याकुमारी मे ही तिरुवल्लुवर को श्रद्धाजंली देने पीएम मोदी 100 से ज्यादा सीढिया चढे तो साबित हो गया है कि ये पीएम रुकेगा नहीं। वाकई ये राजनीति अग्निपथ ही है जिसमें कतार में खड़े आखिरी व्यक्ति तक विकास की परियोजनाओं का पूरा लाभ पहुंचाने के लिए पीएम मोदी ने पूर्णाहुति दी है। ये चुनाव लोकतंत्र के इतिहास मे वाकई अलग माना जाएगा क्योकि दस साल के शासन के बाद पीएम मोदी ने एक बार फिर काम के लिए वोट मांगा है। एंटी इंकंबेंसी मानों हाशिए पर ही चली गयी जब देश भर का वोटर मोदी मोदी के नारे लगाता नजर आया। -प्रियंका सौरभ लोकसभा चुनाव अभियान के समापन के बाद बीजेपी अपने प्रदर्शन के आकलन में जुट गई है। बीजेपी को देशभर से मिले फीडबैक के आधार पर उम्मीद है कि एक बार फिर मोदी सरकार बनने जा रही है। बीजेपी सूत्रों के मुताबिक, पार्टी को कुछ राज्यों में 2019 की तुलना में बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है।लोकसभा चुनाव की मतगणना चार जून को होगी। चुनावी एग्जिट पोल आने शुरू हो गए हैं। जगह-जगह एग्जिट पोल को लेकर लोगों की अलग-अलग राय है। इस बार 400 पार का आंकड़ा पूरा नहीं होगा। हां इतना जरूर है कि भाजपा फिर से सरकार बनाएगी। लोगों का मानना है कि 370 के करीब भाजपा को सीटें मिलेंगी। अब से तीन दिन बाद, हमें आखिरकार पता चल जाएगा कि भाजपा या एनडीए अपने घोषित "400 पार" सीट लक्ष्य के कितने करीब पहुंच पाती है। भारत के चुनावी इतिहास में, किसी पार्टी ने केवल एक बार उस संख्या को पार किया है, जब इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने 414 सीटें (मतदान वाली 541 सीटों में से) जीती थीं। हालांकि अब से दी दिन बाद, ही हमेंपता चलेगा कि एनडीए अपनेघोषित "400 पार" के लक्ष्य के कितनेकरीब पहुंच पाती है। भारत के चुनावी इतिहास में, किसी पार्टी नेकेवल एक बार इस आंकड़े को पार किया है, जब इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए लोकसभा चुनावों मेंकांग्रेस ने 414 सीटें जीती थीं। उस समय 541 सीटों पर मतदान हुआ था जिसमेंसेकांग्रेस ने 414 सीटें जीती थीं। राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने थे। राजीव गांधी, जिन्हें उनकी मां की हत्या के बाद जल्दबाजी में अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में चुना गया था, ने 1984 में सरकार बनाई। हालांकि, उस भारी बहुमत का मतलब यह नहीं था कि उनकी सरकार परेशानियों से मुक्त थी। वास्तव में, यह शाहबानो फैसले से लेकर बाबरी मस्जिद के मंदिर के ताले खोलने से लेकर बोफोर्स घोटाले तक की समस्याओं से घिरी रही। बीजेपी ने चुनाव अभियान 'मोदी की गारंटी' से शुरू किया। पार्टी के घोषणापत्र में भी 'मोदी की गारंटी' की बात प्रमुखता से कही गई। बीजेपी के तमाम नेता एनडीए के 400 पार जाने की बात उठाते रहे। सामाजिक रक्षा और गरीब कल्याण से जुड़े मुद्दों का विस्तार से रैलियों में जिक्र किया गया। जनवरी में राम मंदिर के उद्घाटन के साथ बीजेपी का आत्मविश्वास चरम पर पहुंच गया था। बीजेपी ने राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में विपक्ष के बहिष्कार को मुद्दा बनाया। बाद में कई दूसरे दलों से नेता इसी को मुद्दा बना कर अपना पार्टियां छोड़ बीजेपी में आए। इससे बीजेपी को देशभर में राम मंदिर मुद्दे को सेंटर स्टेज पर लाने में मदद मिली। कई महीनों से इंडिया गुट के नेता यह अभियान चला रहे हैं कि दक्षिण को राष्ट्रीय खजाने में योगदान की तुलना में बहुत कम राशि मिलती है। कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल जैसे राज्यों ने भी धन आवंटन में भेदभाव का आरोप लगाया है। यदि भाजपा को वास्तव में दक्षिण में पर्याप्त वोट और सीटें मिलती हैं तो यह इस तर्क की हवा निकाल देगा और स्पष्ट रूप से यह संदेश देगा कि लोग ऐसे तर्क स्वीकार नहीं कर रहे हैं।पिछले चुनावों से पता चला है कि दक्षिण में वोट हिंदी पट्टी से अलग हैं। 2024 कई अर्थों में उस सिद्धांत का परीक्षण भी है और यदि ये आंकड़े सही हैं तो तो वास्तव में यह चुनाव एक सिस्मिक क्रॉसओवर होने वाला साबित होगा। एग्जिट पोल के आंकड़े अगर 4 जून को सटीक नतीजे में बदलते हैं तो इसका मतलब यह होगा कि दक्षिण भारत भी अब भाजपा के लिए निषिद्ध क्षेत्र नहीं है, जिसका लंबे समय से हिंदी-हिंदू-हिंदुत्व पार्टी के रूप में उपहास उड़ाया जाता रहा है। अब तक बीजेपी सिर्फ कर्नाटक में ही शासन करने में कामयाब रही है और रही है और इसे दक्षिण के प्रवेश द्वार के रूप में माना जाता है। आंकड़े बताते हैं कि 2024 के लोकसभा चुनाव नतीजों में पार्टी दो अतिरिक्त रास्ते बना सकती सकती है। एक तेलंगाना से होकर गुजरना और दूसरा पड़ोसी आंध्र प्रदेश में तेलुगु देशम की साइकिल पर पीछे की सवारी करना। इसके अलावा, नतीजे तमिलनाडु और केरल भी आश्चर्यचकित कर सकते हैं। कन्याकुमारी मे ही तिरुवल्लुवर को श्रद्धाजंली देने पीएम मोदी 100 से ज्यादा सीढिया चढे तो साबित हो गया है कि ये पीएम रुकेगा नहीं। वाकई ये राजनीति अग्निपथ ही है जिसमें कतार में खड़े आखिरी व्यक्ति तक विकास की परियोजनाओं का पूरा लाभ पहुंचाने के लिए पीएम मोदी ने पूर्णाहुति दी है। ये चुनाव लोकतंत्र के इतिहास मे वाकई अलग माना जाएगा क्योकि दस साल के शासन के बाद पीएम मोदी ने एक बार फिर काम के लिए वोट मांगा है। एंटी इंकंबेंसी मानों हाशिए पर ही चली गयी जब देश भर का वोटर मोदी मोदी के नारे लगाता नजर आया। लोकसभा चुनावों की आहट पाते ही पीएम मोदी का प्रचार ऐसा जोर पकड़ा की विपक्षी देखते ही रह गए। देश के हर कोने में पहुंचने का पीएम मोदी का प्लान भी सफल होता गया। आलम ये रहा कि 2024 को जब चुनाव प्रचार खत्म हुआ तो साफ हो गया कि इस बार पीएम मोदी ने प्रचार का रिकार्ड ही स्थापित कर दिया। आंकड़ों के मुताबिक पीएम मदी ने 206 रैलियां, इवेंट और रोड शो किए। पूरे चुनाव प्रचार के दौरान पीएम मोदी ने 80 से भी ज्यादा इंटरव्यू भी दिए। यादों को ताजा करते हुए ये भी बता दें कि चुनावों के ऐलान से पहले के दो महीने में पीएम मोदी ने देश के सभी 30 राज्यों में तीन तीन बार दौरे दिए और विकास की योजनाओं को राष्ट्र को समर्पित किया। यानी पिछले साल दिसंबर से ही पीएम मोदी निकल पड़े थे अपने विजय अभियान मे। --
-प्रियंका सौरभ रिसर्च स्कॉलर इन पोलिटिकल साइंस, कवयित्री, स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार, |
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