नई दिल्ली (28 अगस्त) पिछले दिनों दिल्ली के हिंदुस्तानी भाषा अकादमी में डॉ सविता चड्ढा के व्यक्तित्व और कृतित्व पर डॉ पुष्पा सिंह बसेन की लिखी पुस्तक "सुभाषित सविता" नामक प्रबंध काव्य का लोकार्पण कार्यक्रम संपन्न हुआ, जिसमें मुख्य अतिथि डॉ रवीन्द्र प्रभात एवं विशिष्ट अतिथि डॉ शंभू पंवार उपस्थित रहे। बहुत ही सुन्दर वातावरण में संपन्न हुआ यह कार्यक्रम। रोहणी सेक्टर सात में स्थित हिंदुस्तानी भाषा अकादमी के सभागार में आयोजित इस कार्यक्रम की अध्यक्षता नारायणी साहित्य अकादमी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ पुष्पा सिंह बिसेन ने की।
समारोह का शुभारंभ मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलित कर किया गया। तत्पश्चात सभा की शुरुआत श्रीमती वीना अग्रवाल एवं सीमा शर्मा मंजरी की वाणी वंदना से हुआ।
इस अवसर पर प्रबंध काव्य की विशेषताओं पर बोलते हुए डॉ रवीन्द्र प्रभात ने कहा कि कहा गया है, कि साधना जब सरस्वती की अग्निवीणा पर सुर साधती है तो साहित्य की अमृतधारा प्रवाहित होती है, जिससे लोक हित की भावनाएं हिलकोरें मारने लगती है । इन हिलकोरों में जब सृजन की अग्नि की धाह आंच मारती है तो वह कलुषित परिवेश की कालिमा जलाकर उसके बदले एक खुशहाली से भरे विहान को जन्म देती है। सही मायनों में इसी को साहित्य कहते हैं। मुझे खुशी है कि सविता चड्ढा के साहित्य में ये सारे भाव मैंने महसूस किए हैं। सविता चड्ढा अपने साहित्य में कहीं आग बोती नज़र आती है तो कहीं आग काटती। ऐसी आग जो आँखों के जाले काटकर पुतलियों को नई दिशा देती है, अंधेरा काटकर सूरज दिखाती है, हिमालय गलाकर वह गंगा प्रवाहित करती है जिससे सबका कल्याण हो। सविता चड्ढा का साहित्य रुलाता नहीं हंसाता है, सुलाता नहीं जगाता है, मरता नहीं जिलाता है। सचमुच सविता चड्ढा का साहित्य सम सामयिक एवं उद्देश्यपूर्ण है। सविता चड्ढा के साहित्य में शब्द-शब्द से दर्शन टपकता नज़र आता है। शायद उन्हें इस बात का भान होगा कि साहित्य में जीवन दर्शन नहीं हो तो वह निष्प्राण है। इनकी कुछ कवितायें तो पत्थरों में भी प्राण-प्रतिष्ठा करती नज़र आती है, जो इनके सृजन की सबसे बड़ी विशेषता है। कुछ कवितायें जीवन के प्रति एक गहरी आसक्ति, ललक अर्थात रागधर्मी जीवनोंमुखता व रोमांटिक नवीनता का आभास कराती है । अपने अभिप्रेत भाव को तद्भव रूप में संप्रेषित करने की दक्षता के साथ शब्दों,लोकोक्तियों व मुहावरों की सामर्थ्य एवं सीमा का सुक्ष्म संधान करने वाली लेखिका सविता चड्ढा को मेरी अनंत आत्मिक शुभकामनायें।
विशिष्ट अतिथि डॉ शंभू पंवार ने डॉ सविता चड्ढा को बहुआयामी व्यक्तित्व के मालिक बताते हुए कहा कि मुझे खुशी है कि सविता जी की 50 से अधिक पुस्तकों का सृजन किया है। जिसमें से आठ कहानियां एन सी आर टी के पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है जो अपने आप में अनुकरणीय है। इसके अलावा 60 से अधिक कहानियां आकाशवाणी से प्रसारित हो चुकी है और पत्रकारिता पर प्रकाशित आपकी पुस्तकें विभिन्न विश्वविद्यालय में पढ़ाई जाती है। डॉ पुष्पा सिंह बिसेन द्वारा लिखित पुस्तक की भरपूर सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि यह पुस्तक साहित्यकाश में मिल का पत्थर साबित होगी।
कार्यक्रम में हिंदुस्तानी भाषा अकादमी के अध्यक्ष श्री सुधाकर पाठक ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में अनेक गणमान्य व्यक्तियों ने अपने विचार व्यक्त किए, जिसमें प्रमुख हैं पुस्तक की लेखिका डॉ पुष्पा सिंह बिसेन, बिना अग्रवाल, डॉ ओम प्रकाश प्रजापति, डॉ गीतांजलि, नीरज अरोड़ा, जय सिंह आर्य, डॉ कल्पना पांडेय, वीणा मित्तल, उमंग सरीन, शारदा मदरा, विजय सिंह होश, आमोद कुमार, शायर सरफराज अहमद, सीमा शर्मा मंजरी, जनार्दन यादव, यतराम सिद्दीकी, अंजू अग्रवाल, प्रदीप मिश्रा अजनबी एवं माही मुंतजर।
इस अवसर पर अपने धन्यवाद ज्ञापन में डॉ सविता चड्ढा ने कहा कि मुझे बहुत खुशी हो रही है कि मुझे आप सभी का बहुत प्यार मिला, बहुत स्नेह मिला और आप सभी ने मेरी रचनाओं पर अपने सुन्दर विचार व्यक्त किए। आप सभी का धन्यवाद।
सभी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएंँ
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