विख्यात साहित्यकार रामबाबू नीरव के उपन्यास तिष्यरक्षिता का हुआ भव्य लोकार्पण
पुपरी की साहित्यिक संस्था नीरव साहित्य परिषद, प्रगतिशील लेखक संघ तथा हिन्दी-उर्दू एकता मंच के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित साहित्योत्सव-2025 हर्षोल्लास के साथ सम्पन्न हुआ. इस साहित्योत्सव में विभिन्न क्षेत्रों में अपना महत्वपूर्ण योगदान देने वाले पुरोधाओं के साथ साथ मिथिलांचल की लोक-नृत्यों को जीवंत बनाने वाली छात्राओं को भी सम्मानित किया गया. समारोह का उद्घाटन पुपरी की सुप्रसिद्ध महिला चिकित्सक डा० कुमकुम सिन्हा, युवा समाजसेवी एवं रेडक्रास सोसाइटी, उपजिला शाखा, पुपरी के सचिव अतुल कुमार ठाकुर, वरिष्ठ समाजवादी एवं जेपी सेनानी रघुनाथ प्रसाद, संस्था के अध्यक्ष यू. एस. करुणाकर, सचिव संजय चौधरी, उपाध्याक्ष स्वतंत्र शांडिल्य, कोषाध्यक्ष राहुल चौधरी, संयोजक गौतम कुमार वात्स्यायन, कवयित्री उद्घोषिका डा० मीनाक्षी मीनल, वरिष्ठ पत्रकार मदन मोहन ठाकुर तथा साहित्यकार रामबाबू नीरव ने संयुक्त रूप से किया. साहित्योत्सव के प्रथम सत्र की अध्यक्षता मुजफ्फरपुर के वरिष्ठ साहित्यकार भगवती चरण भारती ने की, वहीं मुख्य अतिथि के रूप में मौलाना मजहरूल हक उर्दू -फारसी विश्वविद्यालय, पटना के परीक्षा नियंत्रक तथा एक नयी सुबह पत्रिका के संपादक डा० दशरथ प्रजापति तथा विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ ग़ज़लकार शिवशंकर सिंह, दिनेशचंद्र द्विवेदी, विमल कुमार परिमल, रामशंकर शास्त्री, आग्नेय जी, डा० नवीन कुमार झा, बाबू लाल दास, आसिफ़ करीम, खुशदिल मौलानगरी, शायर ज़फ़र इमाम हबीबी आदि उपस्थित थे.तिष्यरक्षिता का लोकार्पण सुप्रसिद्ध कवयित्री डा० मीनाक्षी मीनल, डा० दशरथ प्रजापति, डा० उमेश कुमार शर्मा, भगवती चरण भारती, मखाना अनुसंधान केन्द्र दरभंगा के वरिष्ठ वैज्ञानिक सह साहित्यकार डा० मनोज कुमार साहु, कवयित्री नैना साहु, वरिष्ठ कवि सुरेश वर्मा, वरिष्ठ शिक्षाविद् दिनेशचंद्र द्विवेदी, युवा कवि ईशान गुप्ता, कवयित्री काजल कुमारी तथा तिष्यरक्षिता के लेखक रामबाबू नीरव ने संयुक्त रूप से किया. अपने वक्तव्य में गोयनका कालेज सीतामढ़ी के हिन्दी विभागाध्यक्ष डा० उमेश कुमार शर्मा ने तिष्यरक्षिता के नकारात्मक चरित्र को रेखांकित करते हुए उसे खलनायिका बताया वहीं भगवती चरण भारती ने तिष्यरक्षिता उपन्यास की पृष्ठभूमि की ओर इंगित किया. डा० दशरथ प्रजापति ने भी तिष्यरक्षिता के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला. सेंट्रल बैंक के पूर्व हिन्दी पदाधिकारी विमल कुमार परिमल ने तिष्तरक्षिता उपन्यास के साथ साथ इसके लेखक पर भी कई सवाल उठाए और कहा कि इस उपन्यास पर गहन विवेचन के साथ साथ परिचर्चा की जरूरत है. अंत में परिमल जी के सवालों का जवाब देते हुए लेखक रामबाबू नीरव ने कई उदाहरण प्रस्तुत किए और यह सिद्ध कर दिया कि मौर्य सम्राट अशोक की पांचवीं पत्नी तिष्यरक्षिता सिंहल द्वीप (श्रीलंका) की राजकुमारी नहीं, बल्कि कलिंग के एक सनातनी ब्राह्मण की पुत्री थी, जिसने सम्राट अशोक एवं मगध साम्राज्य से कलिंग युद्ध का प्रतिशोध लिया था. साथ ही अपने एकतरफा प्रेम में असफल हो जाने पर अपने सौतेले पुत्र कुणाल की ऑंखें एक षड्यंत्र रचकर निकलवा ली थी. एम. एल. एस. कालेज सरसवपाही के सहायक प्रोफेसर डॉ० चंदीर पासवान ने कहा कि वे इस मुकाम तक अपने गुरुदेव रामबाबू नीरव की प्रेरणा से ही पहुंचे हैं. द्वितीय सत्र में विराट कवि सम्मेलन सह मुशायरा का आयोजन हुआ जिसमें स्थानीय कवियों के अतिरिक्त बाहर से आये हुए कवियों और शायरों ने अपनी अपनी कविताओं तथा ग़ज़लों द्वारा श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया. इनमें प्रमुख थे - उदय सिंह करूणाकर, संजय चौधरी, स्वतंत्र शांडिल्य, डा० मीनाक्षी मीनल, गौतम कुमार वात्स्यायन, राहुल चौधरी, आशीष रंजन प्रणव, प्रकाश मोहन मिश्र, नैना साहु, सुरेश वर्मा, ज़फ़र इमाम हबीबी, काजल चौधरी, ईशान गुप्ता, धीरेन्द्र झा माणिक्य, खुशदिल मौलाना नगरी, अनमोल कुमार सावरन,अभय कुमार शब्द, अश्विनी कुमार, प्रतोष कुमार आदि ने भाग लिया. इस कवि सम्मेलन में देर रात तक श्रोता डटे रहे.कार्यक्रम के तृतीय सत्र में ज्ञान लोक की छात्राओं द्वारा मिथिलांचल का लोक नृत्य झिझिया तथा जट-जटिन प्रस्तुत किया गया. जिसे देखकर श्रोता झूम उठे. अपने धन्यवाद ज्ञापन में साहित्यकार रामबाबू नीरव ने सभी अतिथियों, ज्ञानलोक पब्लिक स्कूल के निदेशक राजू कुमार कर्ण के साथ साथ नीरव साहित्य परिषद के पदाधिकारियों तथा सदस्यों एवं समारोह को सफल बनाने हेतु आर्थिक सहयोग प्रदान करने वाले दाताओं के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त किया.
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